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AI helps paralysed man walk: इस साल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने बाजार में अपनी अलग पहचान बना ली है. AI को लेकर हर दिन कुछ न कुछ खबर सामने आ रही है. अभी तक AI की मदद से इंसानी दिमाग को रीड और सपनों की व्याख्या को लेकर खबरे सामने आ रही थी. लेकिन अब AI का एकऔर अद्भुत करिश्मा देखने को मिला है. दरअसल, कुछ रिसर्चर्स ने 12 साल पैरलाइज्ड रहे व्यक्ति को AI की मदद से ठीक किया और वह अब आसानी से चल-फिर सकता है. आने वाले समय में AI हैल्थकेयर सेक्टर में अपनी बड़ी भूमिका निभाने वाला है.
डिजिटल ब्रिज के जरिए हुआ करिश्मा
दरअसल, गर्ट-जान ओस्कम नाम के एक व्यक्ति ने 2011 में हुए एक साइकिल एक्सीडेंट में अपनी चलने की शक्ति खो दी थी और वे कमर से नीचे पैरलाइज्ड हो गए थे. पैरलाइज्ड होने के बाद ओस्कम ने ये उम्मीद छोड़ दी थी कि वह अब कभी दोबारा भी चल पाएंगे. हालांकि 11 साल बाद यूरोपियन रिसर्चर्स की मदद से ओस्कम दोबारा चलने में सक्षम हो पाएं. रिसर्चर्स ने उनके दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में 2 इम्प्लांट किए जिसकी मदद से उनके ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के बीच एक कनेक्शन बनाया गया और ओस्कम अपने विचारों की मदद से दोबारा चल-फिर पाएं. रिसर्चर्स ने ओस्कम के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के बीच एक डिजिटल ब्रिज बनाया जिसकी मदद से सभी इंजर्ड पार्ट को बाईपास किया गया और सीधे सिंगल्स को स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाया गया.
रिसर्चर्स की टीम में शामिल एक न्यूरोसाइंटिस्ट ग्रेगोइरे कोर्टाइन ने बताया कि वे गर्ट-जान ओस्कम में डिजिटल ब्रिज के जरिए कम्युनिकेशन को बहाल करने में सक्षम हुए जो विचारों को एक्शन में बदल देता है. इसके लिए ओस्कम के ब्रेन के एक हिस्से में इम्प्लांट किया गया जो आमतौर पर पैरों की मांसपेशियों को नियंत्रित करता है. ये इम्प्लांट व्यक्ति के विचारों को समझता है और इसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स में कन्वर्ट कर रीढ़ की हड्डी को पैरों की मांसपेशियों को सक्रिय करने के लिए सिग्नल्स देता है. ब्रेन-स्पाइन इंटरफेस की मदद से व्यक्ति अपने पैरों को कंट्रोल कर सकता है और फिर इन्हें चलने, चढ़ने आदि के लिए सिंग्नल्स दे सकता है. इस पूरी प्रक्रिया में व्यक्ति के सिर पर एक चिप सी लगी रहती है जो सिग्नल्स को स्पाइनल कॉर्ड तक एक डिवाइस के जरिए पहुंचाती है और एक डिजिटल ब्रिज बनाया जाता है जिसकी मदद से व्यक्ति एक्शन्स कर पाता है.
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