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क्या है Digital Rupee पायलट प्रोजेक्ट, इससे कैसे होगा आपको फायदा, यहां समझें

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RBI Digital Currency Launching: RBI 1 दिसंबर को अपने पहले डिजिटल रुपये (Digital Rupee) के पायलट प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग करने जा रहा है. इसके शुरू होने से देश में डिजिटलाइजेशन में बढ़ोत्तरी होने के साथ अर्थव्यवस्था में भी मजबूती आएगी. इससे रिटेल सेगमेंट में क्लोज ग्रुप कस्टमर्स और मर्चेंट्स को सबसे ज्यादा फायदा होगा. पहली बार इस साल बजट सत्र के दौरान देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल रुपये को पेश किया था.

डिजिटल करेंसी के फायदे

  • डिजिटल करेंसी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको हर वक्त अपने साथ कैश रखने की जरुरत नहीं पड़ती.
  • आजकल हर जगह (छोटी से छोटी शॉप से लेकर बड़े से बड़े मॉल) डिजिटल करेंसी एक्सेप्ट की जाती है.
  • डिजिटल करेंसी के प्रयोग से आपको बार कैश के लिए एटीएम या बैंक जाने की जरुरत नहीं पड़ती.
  • डिजिटल करेंसी के लिए आपको बस मोबाइल में ऐप का इस्तेमाल करना होता है.
  • बस थोड़ी सी सावधानी बरतने के साथ इस पर आपका पैसा बिलकुल सेफ रहता है.

अक्टूबर में जारी हुआ पहला कॉन्सेप्ट नोट

RBI ने 7 अक्टूबर को CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के लिए एक कॉन्सेप्ट नोट पेश किया था. इसी नोट में Digital Rupee लाने की बात का जिक्र किया गया था. लेकिन अब RBI ने आधिकारिक तौर पर इसकी लॉन्च डेट की घ्ष्ण कर दी है. Digital Rupee का यह पहला पायलट प्रोजेक्ट, 1 दिसंबर से स्टार्ट कर दिया जाएगा. इसका प्रयोग बड़े ट्रांजेक्शन और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट करने के लिए भी किया जा सकेगा. साथ ही साथ इस पायलट प्रोजेक्ट के जरिये लोगों को डिजिटल भुगतान के प्रति जागरूक भी किया जाएगा. इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि, लोग डिजिटल रुपये को कैश भी करा सकेंगे. जल्द ही इसके प्रोसेस के बारे में जानकारी सामने आ जाएगी.

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पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक होंगी शामिल  

इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए RBI ने इन 9 दिग्गज बैंकों का चुनाव किया है. जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल हैं. डिजिटल रुपये के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने DAKSH एडवांस मॉनिटरिंग सिस्टम भी तैयार किया है. जिसकी मदद से पैसों के लेन-देन पर नजर रखी जा सकेगी. RBI के अनुसार, जरुरत पड़ने पर इस सिस्टम के जरिये ट्रांजेक्शन को आसानी से ट्रैक भी किया जा सकेगा. साथ ही सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए Artificial Intelligence और Machine Learning जैसी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जायेगा.

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