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OTT ऐप्स को हो रहे मुनाफे में फिलहाल टेलीकॉम कंपनियों को नहीं मिलेगी कोई हिस्सेदारी

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No Revenue sharing with Telcos: टेलीकॉम कंपनियां लम्बे समय से OTT ऐप्स को होने वाले मुनाफे में अपना हिस्सा मांग रही हैं. हालांकि ऐसा होता हुआ नजर ही आ रहा है. इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि सरकार के पास फिलहाल ऐसी कोई फाइल या प्रकिया प्रोसेस में नहीं है जो दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और ओटीटी के बीच राजस्व साझाकरण तंत्र पर फोकस करती हो. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ समय से टेलीकॉम कंपनियां ओटीटी प्लेटफार्मों द्वारा अर्जित राजस्व में हिस्सेदारी की मांग कर रही हैं. कंपनियों का कहना है कि कुछ स्ट्रीमिंग ऐप्स ने हैवी बैंडविड्थ सेवाओं की पेशकश शुरू कर दी है और इससे वे उच्च ट्रैफ़िक उत्पन्न कर रहे हैं. टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि इसकी वजह से उन्हें अपने नेटवर्क की क्षमता को अपग्रेड करने और बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसमें काफी पैसा खर्च होता है. इसी वजह से कंपनियां राजस्व में हिस्सेदारी मांग रही है.

COAI ने दिया ये तर्क

टेलीकॉम कंपनियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले COAI यानि सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने रेवेन्यू शेयर करने पर कुछ समय पहले ये तर्क दिया कि बड़े ओटीटी खिलाड़ी यूजर्स के साथ-साथ विज्ञापनदाताओं से भी कमाते हैं. इसलिए राजस्व का एक ‘उचित हिस्सा’ उन टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझा किया जाना चाहिए जो कमाई नहीं करते हैं. COAI ने ये सुझाव मंत्रालय को दिया था.

COAI के सुझाव को इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) द्वारा अनुचित बताया गया है और कहा कि इस तरह के कदम से 2018 में संचार मंत्रालय द्वारा घोषित नेट तटस्थता नियमों को नुकसान होगा जो सही नहीं है. IAMAI ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रिप्रेसेंट करता है.

समिति की मदद से लिया जा सकता है अंतिम फैसला

फिलहाल TRAI इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है और केंद्र सरकार भी इसपर नजर बनाएं है. सरकार की कोशिश ये है कि अगले वर्ष जब 6G स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो तो उससे पहले सभी संबंधित पक्षों को लेकर किसी सहमति पर पहुंचा जाए. इस विषय में एक समिति का गठन कर अंतिम फैसला जल्द लिया जा सकता है.

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