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4 अप्रैल 1975 में शुरू हुई ये कंपनी आज कर रही करोड़ो का कारोबार, इन 2 दोस्तों ने इनोवेशन कर बदल

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Bill gates and Paul Allen: कंप्यूटर और लैपटॉप के बिना आज कामकाज करना मुश्किल है. दुनिया को बदलने में जितना अहम योगदान कंप्यूटर ने दिया है उतना ही अहम योगदान इसके अंदर मौजूद सॉफ्टवेयर का भी है. यदि ये सॉफ्टवेयर न होते तो आज दुनिया कुछ अलग होती. सॉफ्टवेयर की बात आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत आज ही के दिन 1975 में बिल गेट्स और पॉल एलन ने मिलकर की थी. दोनों बचपन से एक ही स्कूल में पढ़ते थे और फिर साथ में कई साल बिताए और इस कंपनी को खड़ा किया. माइक्रोसॉफ्ट आज कई तरह के सॉफ्टवेयर बनाती है और दुनियाभर में लोग कंपनी के सॉफ्टवेयर चलाते हैं. माइक्रोसॉफ्ट का लेटेस्ट विंडो 11 कई करोड़ लोग आज यूज करते हैं. बता दें ,माइक्रोसॉफ्ट ने कंप्यूटर की लोकप्रियता बढ़ाने में एक अहम योगदान निभाया है.

धीरे-धीरे कुछ इस तरह समय के साथ माइक्रोसॉफ्ट ने बदल दी दुनिया

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद पॉल एलन आगे की पढ़ाई के लिए वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी चले गए थे और बिल गेट्स हावर्ड में पढ़ाई करने लगे. करीब 2 साल पढ़ने के बाद एलन को ये लगा कि वे पढ़ाई में समय बर्बाद कर रहे है और फिर उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखना शुरू किया और इसी में जुट गए. यहीं से दोनों ने मिलकर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बिजनेस शुरू किया. दोनों ने दिन-रात मिलकर काम किया और अपने पहले कमर्शियल प्रोजेक्ट को शोकेस करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी स्थापित की. शुरुआत में इस कंपनी में दो ही लोग थे लेकिन जैसे-जैसे कंपनी को नए प्रोजेक्ट मिलने शुरू हुए तो टीम बढ़ती गई. माइक्रोसॉफ्ट के लिए 1980 मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि आईबीएम ने पर्सनल कंप्यूटर के क्षेत्र में कदम रखा और माइक्रोसॉफ्ट से ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने को कहा. इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट कई सॉफ्टवयेर बना चुका था लेकिन इस डील ने माइक्रोसॉफ्ट को कहीं और ही ला खड़ा किया. इसके बाद 1987 में माइक्रोसॉफ्ट ने शेयर निकाले और फिर धीरे-धीरे कंपनी पैसा कमाते गई और बिल गेट्स अमीर होते गए. बता दें, 1983 में एलन ने माइक्रोसॉफ्ट छोड़ दी थी. दरअसल, उन्हें बीमारी के चलते कंपनी छोड़नी पड़ी थी. 

जैसे-जैसे समय के साथ पर्सनल कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ा तो फिर माइक्रोसॉफ्ट ने अलग-अलग सॉफ्टवेयर सिस्टम के लिए लॉन्च किए और 1995 में कंपनी ने इंटरनेट एक्सप्लोरर नाम का ब्राउज़र भी बाजार उतारा जिसने इंटरनेट की दुनिया के लिए नया आयाम खोला. शुरुआत में जब कंपनी ने इंटरनेट एक्सप्लोरर को लॉन्च किया था तो तब इसके लिए पैसे भरने पड़ते थे लेकिन बाद में इसका फ्री वर्जन आने लगा. ये वेब ब्राउजर कुछ सालों में इतना लोकप्रिय हुआ कि 2003 में इसका 95 फीसदी इस्तेमाल किए जाने लगा. लेकिन जैसे-जैसे समय बदला वैसे-वैसे नए वेब ब्राउजर भी बाजार में आए और इंटरनेट एक्सप्लोरर को उन्होंने पछाड़ दिया. 2022 में माइक्रोसॉफ्ट ने इंटेरेंट एक्सप्लोरर को बंद कर दिया था. 

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