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Nomophobia : नोमोफोबिया को अगर शब्दों में तोड़ा जाए तो इसका मतलब निकलेगा “नो-मोबाइल-फोबिया”. नोमोफोबिया एक नया शब्द है, जो उन लोगों की चिंता या डर को दिखाता है जो अपने मोबाइल के बिना नहीं रह सकते हैं. नोमोफोबिया एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है. नोमोफोबिया वाले लोग जब अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से दूर होते हैं तो उन्हें घबराहट, चिंता और भय होने लगता है. अगर किसी को नोमोफोबिया है तो डिजिटल डिवाइस या स्मार्टफोन से दूर होने पर उन्हें कुछ शारीरिक लक्षणों का अनुभव होगा जैसे कि पसीना आना, कांपना और दिल की धड़कन तेज होना.
हाल के वर्षों में बढ़ा नोमोफोबिया
नोमोफोबिया का प्रसार हाल के वर्षों में देखने को मिला है, क्योंकि अब स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल डिवाइस हमारे दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं. बहुत से लोग संचार, मनोरंजन और यहां तक कि काम के लिए भी अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे वे स्मार्टफोन के इतने आदि हो जाते हैं कि ज़रा सी दूरी बनाने पर उन्हें घबराहट, चिंता और भय होने लगता है.
क्या नोमोफोबिया मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है?
नोमोफोबिया को अभी तक तो आधिकारिक तौर पर मानसिक स्वास्थ्य विकार (Mental Health Disorder) नहीं माना गया है. हालांकि यह किसी शख्स की जिंदगी पर काफी खतरनाक प्रभाव डाल सकता है. यह रिश्तों, काम और सामाजिक एक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है. इससे होने वाली चिंता या डिप्रेशन मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है.
नोमोफोबिया से बचाव के उपाय
अच्छी खबर यह है कि नोमोफोबिया से बचने का उपाय भी है. अगर आप अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से अलग होने पर चिंता या भय का अनुभव कर रहे हैं, तो उस फोन पर या डिवाइस पर धीरे- धीरे अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश करें. एक टाइम तय करें और उस लिमिटेड टाइम में ही अपने डिवाइस का इस्तेमाल करें. तनाव और चिंता को दूर करने के लिए माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों की प्रैक्टिस करें जैसे कि व्यायाम, हॉबीज या दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना. ऐसा करना, आपको अपने डिवाइस से डिस्कनेक्ट करने और उस पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, अगर आप नोमोफोबिया से संबंधित गंभीर चिंता या परेशानी का अनुभव कर रहे हैं, तो मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट से मुलाकात करें.
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