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John B. Goodenough का 100 साल की उम्र में निधन, इन्हीं की वजह से आज करोड़ो लोग चला रहे हैं फोन

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John B. Goodenough: जिस स्मार्टफोन को आज हम सभी घंटो चला रहा हैं उसका श्रेय John B. Goodenough को जाता है क्योकि जॉन ने लिथियम-आयन बैटरी की खोज की थी. इसके लिए 2019 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जॉन की बदौलत ही आज हम स्मार्टफोन, कार, लैपटॉप, टेबलेट अदि में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल कर पा रहे हैं.

1980 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में काम करते हुए John B. Goodenough ने लिथियम-कोबाल्ट-ऑक्साइड कैथोड वाली बैटरी विकसित करके एक बड़ी सफलता हासिल की. उन्होंने एक्सॉन के लिए काम करने वाले ब्रिटिश रसायनज्ञ डॉ. व्हिटिंगम द्वारा विकसित बैटरी के डिज़ाइन में सुधार किया था. जॉन के इस अविष्कार ने लिथियम-आयन बैटरियों में उच्च ऊर्जा क्षमता और अधिक सुरक्षा की अनुमति दी. उन्हीं की वजह से आज ये बैटरियां सभी जगह यूज हो रही हैं. 

आविष्कार के लिए कभी नहीं ली रॉयल्टी

John B. Goodenough ने लिथियम-कोबाल्ट-ऑक्साइड कैथोड वाली बैटरी विकसित कर टेक्नोलॉजी में एक नया रेवोल्यूशन लाए. हालांकि उन्होंने इसेक लिए कभी कोई रॉयल्टी नहीं मांगी और अपने अधिकांश अधिकारों पर हस्ताक्षर कर दिए. शुरुआत में बैटरी में कम रुचि होने के कारण ऑक्सफ़ोर्ड ने इसका पेटेंट कराने से इनकार कर दिया जिसके बाद डॉ. गुडइनफ ने ब्रिटिश परमाणु ऊर्जा अनुसंधान संगठन के पेपर साइन कर दिए. कुछ समय बाद जापान और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने लिथियम-आयन बैटरियों की क्षमता को पहचाना और इसके प्रदर्शन को इम्प्रूव करने की कोशिश की. एक्सपैरिमेंट के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्रेफाइटिक कार्बन के साथ लिथियम की परत लगाने से बैटरी के एनोड में काफी सुधार हो रहा है और इससे इसकी एफिसेंसी और सेफ्टी बढ़ रही है.

1991 में Sony ने डॉ. गुडइनफ के कैथोड और कार्बन एनोड को मिलाकर दुनिया की पहली सुरक्षित रिचार्जेबल लिथियम-आयन बैटरी का प्रोडक्शन किया. 

जॉन के अलावा इन 2 लोगों को भी मिला था प्राइज 

बता दें, गुडइनफ़ को 97 की उम्र में नोबेल पुरस्कार मिला था, वे इतिहास के सबसे उम्रदराज़ नोबेल पुरस्कार विजेता बन गए थे. जॉन के अलावा ये पुरस्कार M. Stanley Whittingham और Akira Yoshino को भी दिया गया था जिन्होंने बैटरी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

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