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ATM Card: ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. एटीएम कार्ड ने कई कामों को आसान बना दिया है. एटीएम कार्ड के इस्तेमाल से लोग आसानी से पैसे निकाल लेते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग कर लेते हैं. एटीएम कार्ड भले ही एक मुट्ठी के जितना छोटा सा कार्ड है, लेकिन यह बेहद पेचीदा तकनीक पर काम करता है. बाहर से देखने में यह बस एक प्लास्टिक का नॉर्मल सा कार्ड होता है, ऐसे में लोगों को लगता है कि अंदर से भी साधारण ही होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. यह बाहर से साधारण सा दिखने वाला एटीएम कार्ड अंदर से काफी जटिल होता है.
एटीएम को तैयार करने में एक खास तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. इसी टेक्नोलॉजी की वजह से कॉन्टैक्टलेस पेमेंट आसान बन पाता है. आइए इस खबर में उस टेक्नोलॉजी और एटीएम के अंदर क्या होता है, इस बारे में जानते हैं.
इस तकनीक का होता है इस्तेमाल
डेबिट कार्ड या एटीएम से कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने के लिए Radio-Frequency IDentification (RFID) तकनीक का सहारा लिया जाता है. इस टेक्नोलॉजी से आपको कार्ड से पेमेंट करने की सहूलियत देती है. इस टेक्नोलॉजी में एटीएम कार्ड के अंदर एक चिप इंसर्ट की जाती है. यह चिप तब तब एक्टिव होती है जब एटीएम को कार्ड रीडर के करीब किया जाता है. कार्ड रीडर से निकलने वाला सिग्नल चिप को पावर देता है. हालांकि पावर देने के लिए एम्बेडेड एंटीना का इस्तेमाल भी किया जाता है. अगर इस एंटेना को काट दिया जाए तो डेबिट कार्ड में लगी हुई चिप तक काम नहीं करेगी. इसके चलते आपके कार्ड से पेमेंट होना भी संभव नहीं होगा.
टूटे हुआ एटीएम कार्ड
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कुछ लोगों ने एटीएम कार्ड को बीच में से तोड़ा तो पाया कि इसमें चिप के साथ एक एंटीना भी था. यह एंटीना पतले कॉपर वायर से बनाया जाता है. यह कार्ड के अंदर होता है, लेकिन बाहर से देखने में नज़र नहीं आता है. यह कॉपर वायर का एंटीना ही डेबिट कार्ड में लगी हुई चिप को एक्टिवेट करने का काम करता है. अगर आप अपना पुराना एटीएम कार्ड तोड़कर देखेंगे तो आपको भी यह एंटीना का वायर जरूर दिखाई देगा.
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